लगभग बीस साल पहले RBI अपना Five Day Week कर के मस्त हो गया मगर बैंकों को उम्मीद की घुट्टी पिलाता रहा। मानो कोई सास खुद तो भरपेट भकोस ले और फिर बहू को कहे 'बेटा उपवास रख ले…उसके कई फ़ायदे हैं।'
6 दिन बाद जब रविवार आता था तो बैंकवाले यही नहीं तय कर पाते कि आराम करें या बाज़ार जाएँ या किसी के घर मिलने जाएँ या घूमने जाएँ…Sunday तो शुरू होने से पहले ही ख़त्म हो जाता था। ऐसे में अगर कोई मिलने वाला Sunday को घर आ गया तो दिल में मरोड़ उठती थी 'इस साले को भी Sunday को ही आना था।'
बैंक वाले अपने बच्चों की नज़र में 'Sunday' वाले पापा बन कर रह गए थे। बच्चे कब बड़े हो गए पता ही न चला। मेरे पैकेट से जब blade ग़ायब होना शुरू हो गए तो पता चला बेटा बड़ा हो गया है …दाढ़ी बनाने लगा है। बेग़म ने टोका, बेटी के लड़का देखना शुरू करो तो लगा अभी कल ही तो उसका nursery में दाख़िला कराया था।
30-40 साल पहले तो half day banking ठीक भी थी पर जैसे जैसे products का विस्तार होता गया और अधिक से अधिक लोग बैंकों में खाते खोलने लगे, half day में भी उतना ही काम आ जाता था जितना full day में। हमारे कोई first half के customer अलग और second half के customer अलग तो होते नहीं जो शनिवार को सिर्फ़ first half वाले ही आयेंगे। RBI और सरकार ने बैंकों को कोई स्कूल समझ रखा था कि दिन में पहले चार घंटे जूनियर स्कूल और बाद के चार घंटे सीनियर स्कूल। सारे Full day वाले customer सिमट के शनिवार की half day banking में भीड़ लगा देते थे। बल्कि उससे भी ज़्यादा होते थे क्योंकि अगले दिन Sunday होता था। संभालना भी मुश्किल हो जाता था। घाई-घाई के चक्कर में Fraud की संभावना भी बढ़ जाती थी। Simple सी बात समझदार लोग ही समझ सकते थे। जोकरों को तो मज़ाक करने का ही पैसा मिलता है।
बहुत छोटे शहर तो ठीक मगर medium और बड़े शहरों में डेढ़ दो घंटे लगा कर branch पहुँचने के बाद क्या half day और क्या full day. तीन चार घंटे तो आने जाने में ही खर्च हो गए। शाम को घर पँहुचे तो better half यकीन ही नहीं करती थी कि half day is almost like full day.
और इसके बाद बैंकों में आई technology .... ग़ज़ब की technology - घर या दफ़्तर में बैठे बैठे या दूसरे देशों में भी बैठ कर सारी banking कर लो। पैसा निकालने या जमा करने के लिए 24 x 7 की मशीनें लग गईं। Customer को बैंकों में जाने की ज़रूरत बहुत कम हो गई। बहुत सारी कम्पनियों ने शनिवार को अपने ऑफिस बंद करने शुरू कर दिए। लेकिन बैंक वाले बेचारे शनिवार को भी tie लगा कर बैठे दिखाई पड़े। शनिवार को tie लगा कर मक्खी मारने का concept सिर्फ हमारे ही देश में है। हमारे निर्णय लेने वाले लोग यह तय ही नहीं कर पा रहे कि क्योंकि शनिवार को बैंक खुले हैं - इसलिए ग्राहक आ रहे हैं, या ग्राहक आ रहे हैं इसलिए शनिवार को बैंक खोले जाएँ। शायद दूसरे देशों के निर्णायक बहुत ही निम्न कोटि के गँवार हैं जो अपने यहाँ बरसों से Five Day Week पर बिना तकलीफ के आराम से जी रहे हैं।
जब भी बैंकों में five day week का प्रस्ताव उठाया गया, हमेशा यह तर्क दिया गया कि बैंकों में तो वैसे ही काम नहीं होता, अगर हफ्ते में एक दिन और, यानि शनिवार को बंद कर दिया तो प्रलय declare करनी पड़ जाएगी। मज़े की बात यह कि जब बैंकों में एक दिन की भी हड़ताल होती थी तो अगले दिन समाचारों में चिल्ला चिल्ला कर कहा जाता कि देश को एक दिन में कई हज़ार करोड़ रुपयों का नुक्सान हो गया। इसका मतलब बैंकवाले एक दिन में इतना काम करते हैं कि देश को कई हज़ार करोड़ रुपयों का फ़ायदा होता है तो फिर उन्हें निकम्मे होने का ख़िताब क्यों दिया जाता है ? Anyway… कुछ खुंदकों का कारण नहीं होता और बैंकवाले तो बने ही हैं खुन्नस का निशाना बनने के लिए। पीकदान बन के रह गए हैं। साला (Ooopz) ! 300 का पान चबा के मज़ा कोई ले लेकिन पिच्च होगी पीकदान पर ही।
अब आपने five days किया भी तो उसमें भी one two का four कर दिया। दूसरा और चौथा शनिवार ही बंद किया अगर पहला और तीसरा शनिवार बंद करते तो कुछ महीने, जिनमें तीन शनिवार होंगे, उनमें बैंक वाले तीन छुट्टियों का मज़ा लें ये बात तो आप लोगों को पचेगी नहीं।
कम से कम अब नई generation के बच्चे अपने banker पिता को fortnightly पिता ही बोलेंगे।
Five Day Week के इंतज़ार में कई लोग रिटायर हो गए और कुछ तो कूच ही कर गए।
चलो…देर आए…थोड़ा बहुत दुरुस्त भी आए मगर almost posthumous क्यों आए ?
Maza a gya. Bankwale to 3 mahine pahle se hi shor macha rhe hain ab gazat ane wala hai. But see the policy. Pahle kam kro phir araam kro. First you work full day on the first saturday of the September then earn half day off on next Saturday. Normally a year has 52 Saturdays. It means 28 Saturdays on and 24 Saturdays off. Matlab 4 Saturday free me kam kro. Wah re hmari kismat. Agle janam me bank karmi na baniyo.
ReplyDeleteYou are absolutely right MU. Bankers' pain can be understood only by bankers or the family members of bankers.
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ReplyDeleteAs u rightly said, RBI was planning long back in consultation with IBA to declare 5day week for banks. Then the depositors assn protested against the decision.
Since banking technology is so advanced and customers are enjoying all modern electronuc banking facilities, branch banking is not so important.
But in india the issue is that whether the modern banking is reaching to the maximum customers?
Nice stories Anurag. Lucid writing. Great way to vent away your latent potential of satire!! Keep it up friend..
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