Description

जब आप अचानक कोई ऐसा काम कर जाते हैं या बात कह जाते हैं जिसका सामने वाला बुरा मान सकता है तो उसके हमला करने से पहले ही आपके पास Ooops या Ooopz कहने का license होता है। ऐसी आवाज़ निकालने के बाद सामने वाले को सिर्फ ख़ून का घूंट पी कर चुप रह जाना चाहिए। ऐसा अच्छे शिष्टाचार के अंतर्गत आता है।

इस license का प्रयोग आप कभी भी कहीं भी कर सकते हैं। बस, Ooops की आवाज़ सही समय पर निकलनी चाहिये। ज़रा सी देर काफी नुक्सान पहुँचा सकती है।

कुछ लोग पहले से ही जानबूझ के गुस्ताख़ी कर के Ooopz करने की कला जानते हैं। काफी सफल हैं वे लोग।

Ooopz blog में मैंने कुछ दूसरों के Ooopz पकड़े हैं और कुछ Ooopz खुद भी किये हैं।

आइये इन सब Ooopz का आनंद उठायें।

(इस blog पर मेरे कुल 35 व्यंग हैं. पृष्ठ के अंत में 'Newer Posts' या 'Older Posts' पर क्लिक करके आगे या पीछे के पृष्ठों पर जा सकते हैं)

Friday, 7 August 2015

TOI या BAI

THE TIMES OF INDIA (TOI या BAI)
पिछले कुछ दिनों से लोगों के दिलों में Times Of India के लिए भड़की हुई नफ़रत देख कर मुझे 2009 के 1st quarter की याद आती है। 

मैं Satyam Computers में था और 7 जनवरी, 2009 को Mr. Ramalinga Raju का fax SEBI को गया। उसके बाद तो जैसे media को Satyam और Satyam से जुड़ी हर चीज़ की खाल उधेड़ने में मज़ा आने लगा। काफ़ी बेबुनियाद और झूठी अटकलें लगा लगा कर सब अपना अपना समाचार बेचने में लगे थे। होड़ इस बात की थी कि किस का समाचार सबसे ज़्यादा ज़हर उगल सकता था....बिना सच की समीक्षा किये।  

एक दहशत का माहौल बना दिया था press ने। Satyam के Customers को दहशत थी अपने projects को ले कर और staff को दहशत थी अपने भविष्य को लेकर। हर सुबह एक नया समाचार आता था Satyam के बारे में जो दहशत की लपटों में petrol का काम करता था। बड़ी मुश्किल से हम सब मिल कर प्रयत्न कर रहे थे कि हमारे customers और staff panic में Satyam को न छोड़ें। हर बकवास news का rebuttal भेजा जाता था। इनकी अफवाहें तो छपती थीं front page पर bold में और हमारा rebuttal ये छापते थे सातवें या आठवें पृष्ठ पर, छोटा सा, किसी massage parlor के विज्ञापन के बगल में। कोई पढ़े या न पढ़े, इन से क्या मतलब। Rebuttal के बाद माफ़ी मांगना तो दूर, ये समाचार वाले अगले दिन कोई नया शगूफ़ा छोड़ देते थे और इन सब में TOI सबसे आगे था। 
मुझे याद है - एक दिन तो, जब TOI को कोई मसाला नहीं मिला तो उन्होंने Satyam के हैदराबाद campus से एक स्कूटर पर बाहर आती हुई दो लड़कियों की photo छाप दी, जो दुपट्टे से अपना चेहरा लपेटे हुए थीं। News यह दी गई कि "Even the staff of Satyam is ashamed of the deeds of Mr. Raju and is hiding face."
(If possible, this can be verified from the old records of TOI).

वह सब लोग, जिनकी बहन या बेटी हैं, जानते हैं कि लड़कियों का two wheeler पर, चिलचिलाती धूप से बचने के लिए अपने चेहरे को दुपट्टे से लपेट के निकलना आम बात है। मगर TOI के रिपोर्टर, junior editor, dy. editor, chief editor  की कोई बहन या बेटी नहीं थी सो उन सब को इस बात का इल्म नहीं था। उन सब का ध्येय एक ही था कि Satyam और Satyam से जुड़ी हर चीज़ की छवि को धूमिल करना है। (पर क्यों ?.... शायद वह ही उसका बेहतर जवाब दे सकते थे)। मगर एक बात निश्चित थी कि वह येन-केन-प्रकारेण अपना अख़बार बेचना चाहते थे। वह मसाला छाप रहे थे और कुछ पढ़ने वाले मसाला ढूंढ रहे थे। Rape के case में लोग इस बात में रूचि नहीं रखते कि rape किस वहशी ने किया…बल्कि यह जानने को उत्सुक होते हैं कि rape किसका हुआ, उसकी उम्र क्या थी और rape कैसे हुआ। TOI ने, बिना यह सोचे हुए कि Satyam से जुड़े 50,000+ कर्मचारियों और उनके dependents के भविष्य का क्या होगा, Satyam Computers के ख़िलाफ़ जंग छेड़ दी थी।

वह तो भला हो Satyam के customers का और Satyam के management का…जाको राखे सांइयाँ।  
उस दिन से Times of India से विश्वास उठ गया। जब भी पढता हूँ (और अगर पढता हूँ) तो हर समाचार पढ़ कर यह शक होता है कि साला सच बोल रहा है या झूठ।

ऐसे समाचार पत्र को पढ़ने से कोई फायदा नहीं। जो काम यह कर रहा है वह तो कई घरों की बाइयां (Maid servants) भी कर लेती हैं। यानि इस घर की उस घर में झूठी सच्ची अधकचरी खबरें, नमक-मिर्च लगा के फैलाना। नहीं समझ में आ रहा कि यह TOI है या BAI (बाई) ? 
- (कायदे की बाईयों से Ooops सहित प्रकाशित)

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