एक दहशत का माहौल बना दिया था press ने। Satyam के Customers को दहशत थी अपने projects को ले कर और staff को दहशत थी अपने भविष्य को लेकर। हर सुबह एक नया समाचार आता था Satyam के बारे में जो दहशत की लपटों में petrol का काम करता था। बड़ी मुश्किल से हम सब मिल कर प्रयत्न कर रहे थे कि हमारे customers और staff panic में Satyam को न छोड़ें। हर बकवास news का rebuttal भेजा जाता था। इनकी अफवाहें तो छपती थीं front page पर bold में और हमारा rebuttal ये छापते थे सातवें या आठवें पृष्ठ पर, छोटा सा, किसी massage parlor के विज्ञापन के बगल में। कोई पढ़े या न पढ़े, इन से क्या मतलब। Rebuttal के बाद माफ़ी मांगना तो दूर, ये समाचार वाले अगले दिन कोई नया शगूफ़ा छोड़ देते थे और इन सब में TOI सबसे आगे था।
(If possible, this can be verified from the old records of TOI).
वह सब लोग, जिनकी बहन या बेटी हैं, जानते हैं कि लड़कियों का two wheeler पर, चिलचिलाती धूप से बचने के लिए अपने चेहरे को दुपट्टे से लपेट के निकलना आम बात है। मगर TOI के रिपोर्टर, junior editor, dy. editor, chief editor की कोई बहन या बेटी नहीं थी सो उन सब को इस बात का इल्म नहीं था। उन सब का ध्येय एक ही था कि Satyam और Satyam से जुड़ी हर चीज़ की छवि को धूमिल करना है। (पर क्यों ?.... शायद वह ही उसका बेहतर जवाब दे सकते थे)। मगर एक बात निश्चित थी कि वह येन-केन-प्रकारेण अपना अख़बार बेचना चाहते थे। वह मसाला छाप रहे थे और कुछ पढ़ने वाले मसाला ढूंढ रहे थे। Rape के case में लोग इस बात में रूचि नहीं रखते कि rape किस वहशी ने किया…बल्कि यह जानने को उत्सुक होते हैं कि rape किसका हुआ, उसकी उम्र क्या थी और rape कैसे हुआ। TOI ने, बिना यह सोचे हुए कि Satyam से जुड़े 50,000+ कर्मचारियों और उनके dependents के भविष्य का क्या होगा, Satyam Computers के ख़िलाफ़ जंग छेड़ दी थी।
वह तो भला हो Satyam के customers का और Satyam के management का…जाको राखे सांइयाँ।
ऐसे समाचार पत्र को पढ़ने से कोई फायदा नहीं। जो काम यह कर रहा है वह तो कई घरों की बाइयां (Maid servants) भी कर लेती हैं। यानि इस घर की उस घर में झूठी सच्ची अधकचरी खबरें, नमक-मिर्च लगा के फैलाना। नहीं समझ में आ रहा कि यह TOI है या BAI (बाई) ?
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