एक वक्त था जब हम फ़ोन उठाते ही कहते थे "कैसे हो ?" मगर अब वक्त बदल गया है और technology बहुत तरक्की कर गई है। अब फ़ोन उठा कर कहते हैं "कहाँ हो ?"
यानि तुम कैसे भी हो हमें अब उसे जानने की कोई इच्छा नहीं है। मर रहे हो या जी रहे हो.… हमारी बला से। हमें तो बस यह बता दो कि तुम हो कहाँ।
अब कोई पूछे उनसे कि यह जान कर तुम क्या करोगे कि हम हैं कहाँ ? और अगर by chance जब call आया तो हम संडास में बैठे थे तो क्या हम बता देंगे की भैय्या हम संडास में बैठे किसी के आने का इंतज़ार कर रहे हैं ? और अगर बेशरम हो कर हमने अपनी मौजूदगी के बारे में सच बता भी दिया तो छूटते ही पूछेंगे "क्या कर रहे हो ?"
अब क्या बोलें ? "भैय्या, आपके यहाँ कल बिरयानी खा ली थी उसी का ख़ामियाज़ा आज भुगत रहे हैं।"
कुछ लोग तो हद ही कर देते हैं। भरी पार्टी में, काफी ऊँची आवाज़ में बोलेंगे "क्या भाई आज कल तो ईद का चाँद हो गए हो। जब फ़ोन करो तो जनाब फ़ारिग हो रहे होते हैं।"
एक जुमले में उन्होंने मुझे ईद के चाँद से ईद का बकरा बना दिया… बस उसके बाद तो, पार्टी में, जिसे देखो उसने मेरी कटाई शुरू कर दी।
पुराने फ़ोन शरीफ़ होते थे। घर के किसी fixed कोने में पड़े रहते थे। हम घर में कहाँ हैं उनको कुछ सरोकार नहीं होता था। और घर की बात भी बाहर नहीं जाती थी। घंटी बजती थी तो हम phone के पास जाते थे अब फ़ोन हमारे साथ चलता है। bedroom में, drawing room में, यहाँ तक कि संडास में भी।
सामने वाला यह मान के dial करता है कि फ़ोन तुरंत उठाया जायेगा और नहीं उठाया तो रिश्तों में दरार आ जाएगी।
Boss ने हड़काया "मैंने कल तुम्हारा फ़ोन इतनी बार try किया पर तुमने उठाया ही नहीं।"
मन में आया कह दूँ 'अबे गधे ! कल Sunday था। एक दिन तो चैन से जीने दो।'
मगर मुँह से कुछ और ही निकला - "मैं ज़रा बाज़ार चला गया था। फ़ोन घर पर भूल गया था।" (यह आजकल की standard गोली है)
"अरे यार। फ़ोन भी कोई भूलने की चीज़ है ? कभी तुम्हारे साथ ऐसा हुआ है कि पजामा पहन कर बाहर निकल गए पर नाड़ा घर पर ही भूल आए थे ? गोली मत दिया करो। और फिर वापस आ कर मेरी missed calls नहीं दिखीं थीं तुमको ?"
लो जी, कर दिया काम technology ने… वह भी एक Sunday को। मेरी रिपोर्ट खराब करने का मौका मिल गया उसे।
एक समय था जब jokes सुनाने के लिए कोई माहौल होता था मगर अब WhatsApp पर रात-दिन jokes भेजे जाते हैं। आप किस mood में हैं या किस हाल में हैं इससे कोई मतलब नहीं।
एक दिन मिश्रा जी राशन पानी ले के गुप्ता जी पर चढ़ लिए। नौबत मार पीट तक आ गई। लोगों ने बीच-बचाव किया तो बोले "मेरे दादा जी को गुज़रे दस मिनट भी नहीं हुए थे और यह साला मुझे whatsapp पर दादा जी वाले jokes भेज रहा था। लिखता है - "नया है…आज ही market में आया है।"
गुप्ता जी चिल्लाए "अरे मुझे कोई सपना आ रहा था कि इनके दादा जी नहीं रहे ? या मेरे पास कोई लिस्ट है कि किसके यहाँ कौन गुज़र गया, किसकी बहन भाग गई, कौन बीबी से पिटा है ? सब को भेजे तो इनको भी चला गया।"
मिश्रा जी चढ़ लिए "मैंने तुझे कोई request भेजी थी कि मुझे हँसाओ ? बिना वजह jokes क्यों भेज रहा है ?"
उस दिन से उनकी गुप्ता जी से बोलचाल बंद है।
एक बार रात के 3 बजे फ़ोन पर टीं टीं हुई। घबरा कर फ़ोन उठाया। जब तक फ़ोन का screen चालू हुआ, सारे जान पहचान वालों की सूरतें आँखों के सामने घूम गईं जो इस दुनिया से कूच करने की तैयारी में visa और passport जेब में डाले हुए थे। 'न जाने किस की खबर आई होगी इतनी रात में ?'
देखा तो हमारे एक मित्र का message था जो एक BPO में काम करते हैं। Night duty पर थे और रात के 3 बजे कुछ और करने को नहीं था तो whatsapp पर मसाला भेज रहे थे।
मैंने झल्ला के फ़ोन मिला कर हड़का लिया "तेरा पेट ख़राब हो गया है क्या ? ये जो इतनी रात में तू पोंक रहा है, इसे सवेरे तक रोक नहीं सकता ?"
उसके messages आने तो बंद हो गए मगर दोस्त दोस्त न रहा … दोस्ती में दरार आ गई।
एक साहब ने तो हद्द ही कर दी। अपने दोस्त को message किया "Your wife is better than mine. मस्त है यार !"
दोस्त ने जब मुझे बताया तो मैंने उन साहब को आड़े हाथों लिया। उन्होंने message फिर से check किया और घबरा कर बोले "यह सब technology का खेल है। मैंने तो लिखा था 'Your life is better than mine.' यह साला auto-correct भी ग़ज़ब ढा देता है।" बड़ी मुश्किल से दोनों की दोस्ती बरकार है मगर वह दोस्त जब कभी अपनी बीबी के साथ होता है और उन साहब को दूर से आता देखता है तो कट लेता है.…यानि auto-correct कर लेता है।
Technology ने असली ग़ज़ब तो ढाया मेहरा जी पर। अश्रुपूरित नज़रों से जो उन्होंने मुझे सुनाया उसका सार कुछ ऐसे था -
एक दिन देर शाम उनको बीबी का फ़ोन आया 'कहाँ हो ?'
'अरे ऑफिस में बहुत काम है। आज फिर देर हो जाएगी।'
'अच्छा ? अब pen और computers के बजाय तुम लोग कांटे छुरी से ऑफिस में काम करते हो ? और अपनी इस छप्पन छुरी को उसके घर drop करते हुए आओगे क्या ?'
'कौन छप्पन छुरी ?'
'वही जो तुम्हारे सामने बैठी है।'
मेहरा जी की समझ में न आया कि माजरा क्या है। घबरा कर restaurant में चारों ओर नज़र घुमाई पर बीबी कहीं भी नज़र नहीं आई।
'इधर उधर क्या देख रहे हो ? मुझे सब मालूम है।'
मेहरा जी ने घबरा के फ़ोन cut कर दिया और तब उनको पता चला कि technology अपना काण्ड कर चुकी है। Call accept करते समय वह घबराहट में Video calling का बटन दबा गए थे। हड़बड़ी में ही गड़बड़ी होती है। उनकी बेग़म ने तलाक तो नहीं दिया लेकिन उनसे बोलचाल बंद कर दी और उनका permanent इलाज करने के लिए, एक रात को, मेहरा जी के सोते समय, उनकी नाक पर हल्के तेजाब में डूबा कपड़ा रगड़ दिया। सवेरे तक मेहरा जी के गोरे चेहरे पर एक काली नाक लगी थी। आज कई साल बाद भी बेचारे काली नाक के साथ घूमते हैं जिसकी वजह से उनकी girl friend ने उनसे मुँह मोड़ लिया और तकनीकी त्रुटि की वजह से उनकी बीबी के साथ रिश्ते में दरार आ गई। मेहरा जी ने अपना smart phone OLX पर बेच के एक सस्ता परन्तु बिना कैमरे का फ़ोन ले लिया है और latest technology से पीछा छुड़ा लिया है।
अब आप समझ गए होंगे कि technology ने तरक्की तो की है मगर इस तरह के technical snags से ज़रा बच के रहिएगा नहीं तो रिश्तों में दरार आ सकती है।
Ha ha ha
ReplyDeleteAaj ki 3G 4G yug mein, thum kaham ho poochne mein mathlab nahi kyomki thum dhikha sakthe hein ki thum sundaas mein hai yaa sun dance kar rahe ho!
Kerala mein hai tho phone uddaathe hi yeh poochenge thum kis bar mein baitte ho? (aaj kal bar bandh ho gayi, isliye savaal thoda badhlega, ham kab milenge aur kaham.. Bottle thum lawoge ya mein lekhar aavum!!!