Description

जब आप अचानक कोई ऐसा काम कर जाते हैं या बात कह जाते हैं जिसका सामने वाला बुरा मान सकता है तो उसके हमला करने से पहले ही आपके पास Ooops या Ooopz कहने का license होता है। ऐसी आवाज़ निकालने के बाद सामने वाले को सिर्फ ख़ून का घूंट पी कर चुप रह जाना चाहिए। ऐसा अच्छे शिष्टाचार के अंतर्गत आता है।

इस license का प्रयोग आप कभी भी कहीं भी कर सकते हैं। बस, Ooops की आवाज़ सही समय पर निकलनी चाहिये। ज़रा सी देर काफी नुक्सान पहुँचा सकती है।

कुछ लोग पहले से ही जानबूझ के गुस्ताख़ी कर के Ooopz करने की कला जानते हैं। काफी सफल हैं वे लोग।

Ooopz blog में मैंने कुछ दूसरों के Ooopz पकड़े हैं और कुछ Ooopz खुद भी किये हैं।

आइये इन सब Ooopz का आनंद उठायें।

(इस blog पर मेरे कुल 35 व्यंग हैं. पृष्ठ के अंत में 'Newer Posts' या 'Older Posts' पर क्लिक करके आगे या पीछे के पृष्ठों पर जा सकते हैं)

Monday, 15 May 2017

जगोत्तमेस्ट

तने साल बाद अमरीका आया तो पाया कि सब जगह काफ़ी तरक्की हो गई है. अधिकतर काम तो स्मार्ट फ़ोन पर ही हो जाता है. दिन की फ्लाइट से अमरीका में उतरते ही स्मार्ट फ़ोन के फ़ायदे नज़र आने लगे. चाहें वह बोर्डिंग पास हो, टैक्सी का भुगतान हो, होटल में चेक-इन हो, मॉल में खरीदारी हो, सिनेमा का टिकेट हो, फ़ास्ट फ़ूड में खाना हो...सब स्मार्ट फ़ोन से होता गया. यानि सब कागज़रहित हो गया है. क्या तकनीकी उन्नति करी है यार तुम लोगों ने और क्या ग़ज़ब की बचत कर रहे हो तुम लोग काग़ज़ की.

हते हैं A4 साइज़ के 3,000 काग़ज़ बनाने में एक पेड़ काटना पड़ता है. तुमने तो कितने पेड़ बचा लिए. धन्य हो तुम लोग.

हली रात मस्त नींद आई. लेकिन सवेरे जब दिनचर्या के एजेंडा नम्बर वन से फ़ारिग हुआ तो देखा मग्गा नदारद. चारों ओर दुबारा एक नज़र मारी. न मग्गा था, न लोटा था, न तामलोट था और न ही इनका कोई पर्यायवाची. अरे यार ! इस 5 स्टार होटल के बाथरूम बनाने में लाखों डॉलर खर्च कर दिए...तुम एक लोटा नहीं afford कर सके ? नहाने के लिए दस तरह के बटन लगे हैं...गरम, ठंडा, कम गर्म, तेज़ शावर, धीमा शावर मगर धोने के लिए एक भी बटन नहीं ? तुम लोग सिर्फ़ नहाते हो ?...नहाते धोते नहीं ?

मौजूद था तो सिर्फ़ एक मोटा सा कागज़ का पुलंदा जो एक ऐसे यंत्र से लटक रहा था कि जितना चाहो खींचते जाओ...द्रौपदी यंत्र.

राम राम राम. तुम लोग आज भी काग़ज़ को दूषित कर रहे हो ? इस प्रक्रिया को कागज़ रहित करने में कोई बहुत बड़ी तकनीक नहीं है भाई. हमारे यू.पी. की रेल की पटरियों के पास जाओ. वही पुरानी तकनीक लेके लोग दिनचर्या प्रारंभ कर रहे होते हैं. हमारे उन वैज्ञानिकों से वह ज्ञान ले लो.

तनी बुद्धि आंचा-बांचा को काग़ज़ रहित करने में लगा दी थोड़ा ध्यान इस पर भी लगा लेते...खाली ही तो बैठते हो रोज़ सवेरे 20 मिनट वहां पर.

हे ! अपने आप को जगोत्तमेस्ट समझने वाले अबोध अमरीकियों !!! पृष्ठ प्रक्षालन की एक गणित समझाता हूँ तुमको. एक ख़ुश्क प्रक्षालन में लगभग दो A4 साइज़ के काग़ज़ लगते हैं. तुम्हारी आबादी 33 करोड़ है और अगर तुम लोग दिन में एक ही बार फ़ारिग होते हो तो एक दिन में 66 करोड़ A4 काग़ज़ पीले डाई और चिपचिपे हो कर बेकार हो गए...यानि एक दिन में दो लाख बीस हज़ार पेड़ तुम्हारे पृष्ठ भाग पर घिसने के लिए बलिदान कर दिए गए. (अगर अमरीका में दस प्रतिशत लोग भी प्रतिदिन बदहज़मी का शिकार होते हैं तो यह संख्या और अधिक हो जाएगी). तो यह है वह कारण जिस काम के लिए तुम पेड़ बचाते हो ? वाह री हरित क्रांति....हरि हरि.

ठीक करते हो तुम लोग जो पिज़ा और बर्गर खाते हो. हमारे यहाँ का मिर्चों से भरा एक समोसा खा के तो देखो - एक तो सवेरे तुम्हारा काग़ज़ आग पकड़ लेगा और फिर जिस काग़ज़ के लिफ़ाफ़े में हम समोसा रख कर देते हैं तुम्हारे यहाँ के काग़ज़ में तो तुमको उसका स्वाद ही फ़र्क आएगा. I am sure तुम तो उस काग़ज़ को भी recycle करते होगे.

भाई हम ठहरे भारतवासी. काग़ज़ को विद्यामाता समान पूजते हैं. काग़ज़ पर अगर पैर छू भी जाता है तो तुरन्त उठा कर चूमते हैं और माथे से लगा कर विद्यामाता की जय बोलते हैं. और यही कारण है हम भारतियों पर माँ सरस्वती का वरदान है. अमरीका की बड़ी से बड़ी कम्पनियां चलाने के लिए तुम को भारत से ही सरस्वती पुत्र आयात करने पड़ते हैं.

ट्रम्प भैय्या ! हमारे राष्ट्रपति जी काग़ज़ पर कलम रगड़ते हैं मगर तुम तो सीधा काग़ज़ ही रगड़ लेते हो. बहुत जल्दी में हो क्या ? जब से तुम राष्ट्रपति के कमोड पर बैठ कर काग़ज़ रगड़ रहे हो, रगड़े-पेटिस की तरह तुम्हारे निर्णय बाहर निकल रहे हैं...चाहें वह दूसरे देशों के बारे में हो या तुम्हारे देश के अंदर के. देश में रोज़गार बढ़ाने के लिए तुम H1B वालों की पुंगी बजा रहे हो.

सुनो मेरी बात ध्यान से. तुम्हारे यहाँ बेरोज़गारी का कारण हम भारत से आए प्रवासी नहीं हैं. उनको रोकने से कुछ नहीं होगा. असल में, माँ सरस्वती के प्रकोप के कारण तुम्हारे यहाँ लल्लुओं की भरमार है और हर ताज़ा लल्ला लल्लू ही पैदा हो रहा है. हम भारतवासियों के बिना तुम्हारे लल्लू कुछ न कर पाएँगे. न तो H1B visa रोकने से कुछ होगा...और न ही तुम अपने लल्लुओं की हाजत रोक पाओगे. ऐसे में उनके द्वारा माँ सरस्वती का तिरस्कार मुतवातिर जारी रहेगा और तुम्हारा हर लल्ला लल्लू की मोहर लगा कर ही पैदा होता रहेगा.

मेरी मानो, एक बार सवेरे सवेरे काग़ज़ को कहीं और लगाने के बजाए माथे से लगाओ और काग़ज़ के स्थान पर पानी से धो कर ठन्डे दिमाग़ से सोचो. H1B visa को जारी रखो. अपने हर लल्लू के हाथ में एक एक लोटा पकड़ा दो. जब अमरीका में 33 करोड़ लोटे बनेंगे तो तुम्हारी औद्योगिक आर्थिक स्थिति में भी सुधार आएगा और माँ सरस्वती के आशीर्वाद से हमारे H1B visa वालों के साथ साथ तुम्हारे लल्लू भी कमाएँगे.

धोने के बाद उपरोक्त सुझाव समझ में आए तो इसे लागू कर के मुझे फ़ोन ज़रूर लगाना. मैं एक बार फिर अमरीका आऊँगा...तुम्हारी तरक्की देखने. घबराओ नहीं...मैं H1B लेके नहीं बल्कि अपना लोटा लेके आऊँगा.

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