Intolerance-
एक शब्द जिसने कुछ समय पहले पूरे देश में हंगामा खड़ा कर दिया था. कुछ ने कहा देश छोड़
देंगे तो बाकी ने कहा छोड़ दो. सही और ग़लत की पहचान नहीं हो रही थी. शायद बहुत दिमाग
चाहिए था और मेरा दिमाग उस वक्त किसी दूसरे ही मसले में उलझा हुआ था.
...और
वह मसला था मेरी अपनी ही हाउसिंग सोसाइटी के कुछ जांबाज़. मैंने अपने कुछ दोस्तों
और रिश्तेदारों से पता किया. हर प्रदेश के हर शहर से एक ही जवाब आया कि देश तो भूल
जाओ, किसी भी हाउसिंग सोसाइटी में रहना है तो intolerance को झेलना होगा. कुछ
जंगलियों के कारण, चार लोगों का भी मिलके रहना बड़ा मुश्किल है.
देखिये
एक नज़ारा - ऊपर वाले ने पानी फेंका, नीचे वाले ने प्यार से समझाया. ऊपर वाले ने
तलवार निकाल ली. किसी ने घर का कचरा पड़ोसी के फ्लैट के सामने फैला दिया. प्यार से
समझाया. उन्होंने चुनिन्दा गालियों से उनके सारे रिश्तेदारों के नाम गिना दिए. कॉलोनी
में सत्तर की रफ़्तार से गाड़ी दौड़ाते हैं. प्यार से समझाया तो उनके अन्दर गब्बर की
आत्मा प्रवेश कर गई. कॉलोनी में हॉर्न बजा बजा कर शांति भंग करते हैं. प्यार से
समझाया तो हॉर्न से भी ज़्यादा ज़ोर से चिल्लाने लगे. कुत्ते को कॉलोनी की सड़कों पर
फ़ारिग कराते हैं. मना किया तो कुत्ते से पहले ख़ुद ही भौंकने लगे. कुत्ते को मौका
ही नहीं दिया और लगा कि अभी काट भी न लें. (कुत्ता was more civilised). कॉलोनी
में कोई शांति बनाना चाहे तो उसकी गर्दन दबाने को हरदम तैयार. और तो और, अगर माहौल
हल्का करने के लिए सोसाइटी के whatsapp ग्रुप पर कोई मज़ाक कर दिया तो silly, idiot
और stupid की उपाधि देने से बाज़ नहीं आए. Idiot कहीं के.
सोसाइटी
को कोई सुचारू रूप से चलाने का बीड़ा उठाए तो उसका जीना हराम कर देंगे और जब उनसे
कहो कि भैय्या आप ही ये बीड़ा उठा लो तो घरवाली के पल्लू में छुप के बैठ जाएँगे.
क्या
ये...क्या इनका परिवार...और क्या इनका कुत्ता – सबने जैसे कॉलोनी की शांति को बिना
नाड़े का पजामा बनाने की कसम खा रखी है. कभी टिकने ही नहीं देते. इनके बच्चों से
कहो कि बेटा गाड़ियों के पास फुटबॉल मत खेलो तो अगले दिन आपकी गाड़ी का शीशा टूटा
मिलेगा. बाप से शिकायत करने का मतलब जैसे आप अपनी body को marinate करके किसी भूखे
भेड़िये के आगे ख़ुद ही लेट गए हों.
अंदाज़
लगाता हूँ कि जब ये लोग पैदा हुए थे तो इनके चेहरे लाल तमतमाए हुए थे, कानों से
धुआं निकल रहा था, नथुनों से शोले निकल रहे थे, आँखों में अंगारे दहक रहे थे, मुंह
से बाहर निकलते दो नुकीले खांग थे और इनके दोनों हाथों में तलवार थी. यकीन न हो तो
आज भी देख लो...इनकी शक्लें ऐसी ही लगेंगी. किलकारी के नाम पे इनके मुंह से गालियाँ
ही निकलती थी. भूख लगती थी तो ये रो के नहीं मांगते थे बल्कि माँ की गर्दन पर
तलवार रख देते थे. माँ खुद-ब-खुद समझ जाती थी.
पूरी कॉलोनी में ढूँढते रहते हैं कि किसको गालियाँ दें या किसको घसीट के पटक दें.
अब आप ही
बताइए...intolerance आपकी सोसाइटी में अधिक है या देश में ? उस वक्त intolerance के
बारे में देश के दूर किसी कोने में किसी ने कुछ कह दिया और हजारों किलो मीटर दूर आप
धोती लोटा ले के उस पर चढ़ लिए...आप ही क्या...पूरा देश ही चढ़ लिया. जिसको जो
सुनाना था और जितना सुनाना था...जी भर के सुनाया. मगर जब आपकी अपनी ही कॉलोनी के
अन्दर के अझेल (intolerant) से निबटने की बारी आई तो सब अपने अपने घर में घुस कर
लुंगी डांस करने लगते हैं.
बहुत
हुआ भैय्या !!! पहले अपनी कॉलोनी के अन्दर की अझेलता (intolerance) से निपटना
सीखिए...अपने आज़ू बाज़ू के लोगों को समझाइये कि शरीफों की कॉलोनी में शिक्षित लोगों
की तरह मिलजुल कर कैसे रहा जाता है फिर देश की बात करिए.
आज समझ
में आया कि बचपन में जब हम कहते थे कि लड़ाई लड़ाई माफ़ करो...कुत्ते का #@$ साफ़ करो,
तो यही लोग हमारे दिमाग में दिव्य चरित्र का आदर्श होते थे.
कुत्ता अगले पल पर क्या करेगा ये हम जानते हैं लेकिन हाउसिंग सोसाइटी के मानव अगले पल पर क्या करेंगे यह कोई प्रवचन नहिं कर सकता।
ReplyDeleteएक हाउसिंग सोसाइटी की दूसरी माले से कोई कचड़ा फेका। नीचे जो खड़ा था ऊपर देखकर बोला अरे क्या करते है आप कम से कम देखो तो सही नीचे कोण खड़ा है, आँख बंद करके फेकेंगे तो understanding people suffer
Keep writing anuragji
दुरेहा भैया, सुना हैं कि आपने एक असंभव कार्य कर दिया हैं - मुंबई की सारी की सारी हाउसिंग सोइटियो के ऑफिशल्स को एकजुट कर दिया हैं। सबने आपकी फोटू एक्सचेंज कर ली हैं और सिक्योरिटी को स्ट्रिक्ट आदेश दे दिए हैं कि जहाँ भी यह व्यक्ति दिखे, उसे चार्टर्ड फ्लाइट द्वारा साइबेरिया के सुदूर जंगलो में छोड़ दिया जाए।
ReplyDelete��
पुनश्च: परंतु आप विचलित ना हो, - दुरेहा जी तुम संघर्ष करो, हम तुम्हारे पीछे पीछे हैं। ��
दुरेहा भैया, सुना हैं कि आपने एक असंभव कार्य कर दिया हैं - मुंबई की सारी की सारी हाउसिंग सोइटियो के ऑफिशल्स को एकजुट कर दिया हैं। सबने आपकी फोटू एक्सचेंज कर ली हैं और सिक्योरिटी को स्ट्रिक्ट आदेश दे दिए हैं कि जहाँ भी यह व्यक्ति दिखे, उसे चार्टर्ड फ्लाइट द्वारा साइबेरिया के सुदूर जंगलो में छोड़ दिया जाए।
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पुनश्च: परंतु आप विचलित ना हो, - दुरेहा जी तुम संघर्ष करो, हम तुम्हारे पीछे पीछे हैं। ��